तुम जिनको देखते रहते हो,
वो ख्वाब सिरहाने रखती हूँ
तुमसे मिलने जुलने के,
मै कितने बहाने रखती हूँ
मै ऐसी मोहब्बत करती हूँ,
तुम कैसी मोहब्बत करते हो?
कुछ ख्वाब सज़ा के आंखों मे
पलकों के साये चुनती हूँ
कोई लम्हा गर छू जाता है,
मै पहरो उसको सोचती हू
मै ऐसी मुहब्बत करती हूं,
तुम कैसी मोहब्बत करते हो?
हर मौके पर हर मन्जर मे,
मै साथ तुम्हारे रहती हू,
मै तस्वीरों मे अक्सर बस तुमको देखा करती हूँ,
बस तुमको सोचती रहती हू
मै ऐसी मुहब्बत करती हूं
तुम कैसी मुहब्बत करते हो?
--मूल रचयिता का आभार,
किसी को मालूम हो तो सूचित करें।
__________ Information from ESET NOD32 Antivirus, version of virus signature database 3346 (20080811) __________
The message was checked by ESET NOD32 Antivirus.
http://www.eset.com
Disclaimer: http://www.kuleuven.be/cwis/email_disclaimer.htm for more information.
5 comments:
badhiya rachana badhai mishr ji.
वाह! आनन्द आ गया. पढ़वाने का आप को बहुत शुक्रिया.
Bahut khub
बहुत खूब....क्या बात है.
नीरज
आप सब को पसन्द आया इसके लिये आभार और धन्यवाद।
Post a Comment